New Parliament House Building– भारत का इतिहास जो नए-नए इतिहास रचने के लिए जाना जाता है। ऐसा ही एक नया पन्ना 28 मई 2023 को लिखा गया। पुराना संसद भवन जिसका निर्माण सन 1927 में किया गया था वर्तमान में नए संसद का उद्घाटन 28 मई 2023 को किया गया है। नए संसद भवन में भारत के ऐतिहासिक पन्नों में एक सुनहरा पन्ना जोड़ दिया है। सच में नया संसद भवन कमाल का बनाया गया है जिसमें देश के लोकतंत्र को चलाने और सवारने का काम किया जाएगा।
आज हम आपको बताएंगे देश के नए संसद के बारे में कि उसका डिजाइन किसने बनाया उसे तैयार किसने किया और उसमें कितना खर्चा आया। साथ ही हम आपको बताएंगे उसके बारे में कुछ अनजाने रोचक तथ्य जिनके बारे में शायद आपने अब तक नहीं जाना होगा।
कैसी थी पुरानी संसद भवन की बिल्डिंग/ How was Old Parliament House Building?
संक्षिप्त में कहें तो पुरानी संसद भवन ब्रिटिश गुलामी के रंगों से रंगी हुई थी जिसको स्वदेशी शामियाने में ढकने का काम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया गया। आखिर क्या कमी थी उस पुरानी संसद भवन की बिल्डिंग में जो मोदी सरकार ने नए संसद भवन को बनाने का आदेश दे दिया। नई संसद भवन की बिल्डिंग देखने से पहले आपको पुरानी संसद भवन की बिल्डिंग में कमियां जानने की बहुत जरूरत है ताकि आप भी नई संसद भवन की बिल्डिंग के महत्व को समझ सके। तो आइए ले चलते हैं आपको पुरानी संसद भवन की बिल्डिंग के दौरे पर….
- पुराना डिजाइन दो सदन वाली विधायिका के लिए नहीं बना था
1927 में तैयार हुई संसद भवन ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की इमारत थी जिसे काउंसिल हाउस के रूप में तैयार किया गया था। भारत देश की स्वतंत्रता के बाद इसे देश के संसद भवन के रूप में बदल दिया गया। पुराने डिजाइन के अनुसार इसमें दो सदन वाली विधायिका को समायोजित करने कि कोई व्यवस्था नहीं थी।
- बेसिक डिजाइन पुराने संसद में उपलब्ध नहीं था इसलिए मॉडिफिकेशन नहीं हो सकता था
पुरानी संसद भवन का कोई भी मूल डिजाइन या कोई भी अभिलेख या किसी भी प्रकार का दस्तावेज ब्रिटिश सरकार द्वारा आजादी के समय भारत सरकार को प्राप्त नहीं हुआ था। जिसके चलते उस भवन में किसी भी तरह का मॉडिफिकेशन कर पाना संभव नहीं था इसलिए संसद भवन का नया निर्माण करने के बारे में सोचा गया। सन 1956 के दौरान संसद भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर दो नई मंजिले बनाई गई जिसकी वजह से सेंट्रल हॉल में बना हुआ गुंबद उसके अंदर छुपकर रहेगा।
इस कारण संसद भवन की पूरी शक्ल ही बदल गई थी और जाली की खिड़कियों से कवर करने की वजह से दोनों संसाधनों के कक्ष में नेचुरल लाइट बिल्कुल भी नहीं आती थी।
- अधिकतम सांसदों को बैठाने की जगह नहीं
भारतीय संसद में वर्तमान में 545 लोकसभा सांसद हैं जबकि साल 1971 की गणना के आधार पर यह संख्या विभिन्न संवैधानिक संशोधन अधिनियम ओं के हिसाब से लगातार स्थिर बनी हुई थी। अब जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है और उस समय आबादी के हिसाब से 5 लाख व्यक्ति की आबादी पर एक सांसद नियुक्त किया जाता था। तो उस हिसाब से लोकसभा में सांसद भी कम थी लेकिन आज बढ़ती हुई आबादी के बाद 25 लाख नागरिकों पर एक सांसद नियुक्त किया जाता है उस हिसाब से सांसदों की संख्या भी बढ़ गई है परंतु संसद भवन में उतने ज्यादा सांसद बैठने की जगह ही नहीं है।
यदि एक अंदाजा लगाया जाए तो साल 2026 में जनसंख्या बढ़ने के बाद अगर सांसदों की संख्या बढ़ती है तो मौजूदा भवन में पर्याप्त सांसदों को बैठाने की जगह भी नहीं रहती।
- पुराना भवन पहले से ही था दबाव में
पुराना संसद भवन बहुत ज्यादा दबाव में बनाया गया था मतलब इसकी संरचना जो है उसका बुनियादी ढांचा पुराने समय के हिसाब से था जिसे नया बनाना बहुत जरूरी था। सबसे पहली बात वह भूकंप विरोधी नहीं था पुराने भवन का मॉडिफिकेशन करना भी आसान नहीं था। जिस हिसाब से दिल्ली में बोझ बढ़ता जा रहा है उस हिसाब से दिल्ली को भूकंप जोन 2 में रखा गया है।
पुराने संसद भवन को संवेदनशील मानकर और मूल डिजाइन के दस्तावेज ना होने पर भी उसकी संरचनात्मक मजबूती को परखने के लिए जरूरी परीक्षण नहीं किए जा सकते थे इसीलिए उसे भूकंप रोधी क्षमता से परिपूर्ण नहीं माना गया। जिसके चलते नए संसद भवन के निर्माण का आदेश दिया गया।
- सेंट्रल हॉल की है क्षमता कम
पूर्व संसद भवन कि लोकसभा में केवल 552 और सेंट्रल हॉल में अधिकतम 436 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। यदि लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या बढ़ने की वजह से वह सत्र गलियारों में बैठकर या फिर अस्थाई सीटों को जोड़कर किए जाते थे। जब देश का लोकतंत्र और लोकतंत्र को चलाने वाले व्यक्ति इस तरह से अस्थाई सीटों पर बैठकर मुद्दों पर वाद-विवाद करेंगे तो इससे हमारे सांसदों की गरिमा भी घटती है। साथ ही सुरक्षा भी एक बहुत बड़ा जोखिम बन जाता है।
इसके अलावा पूर्व संसद में मंत्रियों के कार्यालय तथा बैठक का साथ ही प्रेस कक्ष और भोजन सुविधाएं भी अपर्याप्त मात्रा में थी। वर्तमान समय में ही ऐसी वस्तु की पूर्ति नहीं होती थी तो भविष्य में तो इन सब की और ज्यादा आपूर्ति हो जाती।
ऊपर बताए गए सभी मूल चिन्हों को ध्यान में रखते हुए नए संसद भवन के निर्माण के लिए श्री प्रधानमंत्री मोदी जी ने पहल की और 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन को बनाने के लिए नींव रखी। जिसे बनकर तैयार होने में 3 साल लग गए और 28 मई 2023 को उसका उद्घाटन किया गया। आइए अब पुरानी संसद से होकर चलते हैं नए संसद की ओर। जिसमें भारत का इतिहास भी है और वर्तमान भी और साथ ही सुनहरा भविष्य।
कैसी है भारत की नई संसद भवन/New Parliament House Building
भारत की New Parliament House Building पूरी तरह से भूकंप रोधी है इसे आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण बनाया गया है जिसमें किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। आइए जानते हैं क्या खास बात है नई संसद भवन बिल्डिंग में..
- इस भवन का निर्माण 862 करोड़ रुपए की लागत के द्वारा किया गया है।
- इस भवन में 4 मंजिल इमारत है जो पूरी तरह से भूकंप रोधी हैं।
- इस भवन में सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं सम्मिलित की गई है ताकि किसी भी चीज की कोई कमी महसूस ना हो।
- Parliament House Building में 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था लोक सभा कक्ष में की गई है ताकि सदनों का संयुक्त सत्र भी इस संसद भवन में आयोजित किया जा सके।
- सांसदों के लिए New Parliament House Building में 888 सीट बनाई गई हैं जबकि दर्शक दीर्घा गैलरी में 336 लोगों के बैठने की जगह तैयार की गई है।
- राज्य सभा कक्ष में 384 सांसदों के बैठने की जगह बनाई गई है।
- सविधान हॉल पहले से ज्यादा बड़ा बनाया गया है।
- New Parliament House Building को पूरी तरह से वायु और ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए बनाया गया है।
- इसमें सभी सांसदों के लिए अलग-अलग ऑफिस तैयार किया गया है जो पूरी तरह से पेपरलेस होगा जिसमें डिजिटल इंटरफेस लगाए गए हैं।
- सभी संसद सदस्यों के लिए इसमें एक लाउंज भी बनाया गया है।
- New Parliament House Building में एक लाइब्रेरी तथा एक डाइनिंग हॉल और बहुत बड़ी पार्किंग भी तैयार की गई है।
यह तो हुई सांसदों के लिए तैयार किया गया New Parliament House Building के बारे में जिस में कितने सांसद बैठेंगे कहां बैठेंगे और उनके ऑफिस कैसे होंगे इस बारे में हमने बात की। आइए जानते हैं नए संसद भवन बिल्डिंग के नजारो के बारे में
3 खास द्वार बनाए गए/ 3 Main Gates
सूचना के अनुसार नए संसद भवन बिल्डिंग में छह गेट और सार्वजनिक रास्ते बनाए गए हैं जिनमें मुख्यत तीन खास द्वार हैं। उन द्वारों का नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार के नाम से रखा गया। जिस द्वार से भी प्रवेश होंगे उन व्यक्तियों को वहां पर खूबसूरत मूर्तियां दिखाई देंगी जो पूरी तरह से ग्रेनाइट की बनाई हुई है। हमारे भारत के जाने-माने व्यक्तित्व महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल और चाणक्य की ग्रेनाइट की मूर्ति तैयार की गई है जो उन द्वारों पर स्थापित की गई है।
संविधान हॉल की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए भवन के बीचो बीच संविधान को रखा जाएगा जिसके ऊपर अशोक स्तंभ लगाया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि सभी महान हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी साथ ही महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और महान देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई।
संसद भवन के विभिन्न दीवारों पर खूबसूरत गैलरी लगाई जाएगी जो हमारे भारत के इतिहास को तथा आधुनिक दौर को दर्शाएगी। इन रास्तों पर देश के अलग-अलग हिस्सों की मूर्तियां तथा आर्टवर्क भी दर्शाए जाएंगे। साथ ही देश में जिन जानवरों को पूजा जाता है उनकी झलकियां भी यहां पर आपको नजर आएंगी जिन में गरुड़, गज, अश्व और मगर सम्मिलित हैं।
नई संसद भवन के बारे में रोचक तथ्य/ New Parliament House Building Facts
देश के New Parliament House Building के बारे में आपको पहले ही हम काफी कुछ बता चुके हैं लेकिन इसके बारे में जितना चाहे उतना कम है। अब हम आपको इसके कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे कि इसमें भारत के किन प्रदेशों से लाकर विभिन्न कलाकृतियों को प्रस्तुत किया गया है।
- संसद भवन की चार मंजिला इमारत को 64500 वर्ग मीटर के त्रिकोणीय आकार में बनाया गया है। जिसके तीन मुख्य द्वार बनाए गए हैं ज्ञान द्वार, कर्म द्वार और शक्ति द्वार। विभिन्न सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वारों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- पुराने संसद भवन बिल्डिंग के अंदर लोकसभा में जहां पर अधिकतम 552 लोग तथा सेंट्रल हॉल में 436 लोग ही बैठ पाते थे वहीं अब नए संसद भवन बिल्डिंग में 888 लोगों को बैठने की व्यवस्था की गई है जबकि राज्यसभा में 384 लोग बैठ सकते हैं।
- नए संसद भवन बिल्डिंग के निर्माण के लिए भारत देश के विभिन्न राज्यों से अलग-अलग सामान लाए गए जैसे- सागवान की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से, सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से, साथ ही हरा पत्थर उदयपुर से तो अजमेर के एक गांव लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से लाया गया है।
- संसद भवन hall के बीचो बीच बना हुआ अशोक चिन्ह बनाने के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से सामग्री लाई गई।
- संसद भवन के बाहरी हिस्सों में जितनी भी सामग्री लगाई गई है वह मध्यप्रदेश के इंदौर से मंगाई गई है।
- New Parliament House Building में पत्थर की नकाशी का काम भी कराया गया है जिसे आबूरोड और उदयपुर के मूर्तिकारो द्वारा कराया गया है।
- लोकसभा और राज्यसभा कक्षाओं में फॉल सीलिंग भी बनाई गई है जिसकी पूरी संरचना स्टील की है और वह स्टील केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है।
- New Parliament House Building के नए फर्नीचर के लिए पूरी तैयारी मुंबई में की गई।
- भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए जितनी भी ठोस सामग्री की आवश्यकता हुई वह हरियाणा के चरखी दादरी में निर्मित रेत या एम रेत के इस्तेमाल द्वारा की गई। एम रेत एक प्रकार की कृत्रिम रेत होती है जिसे बड़े-बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट के बारीक कणों में तोड़कर तैयार किया जाता है। यह रेत नदी की रेत से अलग होती है।
- New Parliament House Building निर्माण में फ्लाई ऐश की ईटें लगाई गई हैं जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थी। भवन में पीतल की सामग्री का काम भी किया है जिसे पहले से तैयार सांचे गुजरात के अहमदाबाद से लाया गया है।
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यह है भारत में नया इतिहास रचने वाली New Parliament House Building जिसके बारे में आज हमने आपको विस्तार पूर्वक सब कुछ बताया। अगर मैं अपने निजी अनुभव से कहूं तो मेरे लिए यह गर्व की बात है कि भारत देश में एक ऐसी नई पार्लियामेंट बिल्डिंग तैयार की गई है जो बेहद नायाब और खूबसूरत है। उम्मीद है नए संसद भवन में सभी सांसद भारत के लोकतंत्र के लिए और देश की जनता के लिए उनके हित में काम करेंगे और निर्णय लेंगे।